मैं और मेरे अह्सास
रोज रवि की किरण नई ऊर्जा प्रदान करती हैं l
और ज़िन्दगी में नई आशा नई उमंग भरती हैं ll
साथ अपने प्रकाश से भरे एक बड़े गोले से l
अँधेरों को चिरकर वो आसपास सरती हैं ll
उगने से लेकर डूबने तक कर्म किये जाती l
समय चक्र की मर्यादा के लिए मरती हैं ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह