तेरी आंखों में जो खामोशी की नमी है
उसे लफ्ज़ों में मैं जिक्र कर नहीं सकती....
तेरे दिल में जो यादों का समुंदर ठहरा है
किनारे पे जाकर लहरों से मिटा नहीं सकती.....
मुरझा जो गए हो उन फूलों की तरह
जो बागों में अक्सर खिला करते थे
माली बन फिर से तुम्हे सींच तो नहीं सकती .......
-Manshi K