मैं और मेरे अह्सास

प्रकृति की लीला कोई नहीं समझ पाया हैं l
राधे कृष्णा ने रचाई हुईं मायावी माया हैं ll

रंगबिरंगी कुदरत का खूबसूरती नज़ारा l
जहाँ देखो अलौकिक शक्ति का साया हैं ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

Hindi Poem by Darshita Babubhai Shah : 111943541
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