मैं हूं आज मुसीबत में,,
आओ कह कर देखते हैं।
कौन आता है मदद के लिए,,
और कितने दूर से तमाशा देखते हैं।
गिने चुने ही कुछ रिश्ते होंगे,,,
जो तेरे चेहरे को पढ़ पायेंगे।
और उनकी ना कोई गिनती होगी,,
जो तेरे दर्द का जश्न मनायेगा।✍️✍️परम 🌹

Hindi Thought by Paramjeet Kaur : 111943509
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