“कहाँ थी ज़िंदगी मेरी, कहाँ पर आ गई
वो भूली दास्ताँ लो फिर याद आ गई
नज़र के सामने घटा सी छा गई
नज़र के सामने घटा सी छा गई
वो भूली दास्ताँ लो फिर याद आ गई
वो भूली दास्ताँ लो फिर याद आ गई”
❤️

Hindi Shayri by Umakant : 111943444
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