फासलों में ये प्यार न होगा कम
मुझे कुछ सहना पड़े चाहे सितम
चुप सी आंखें कुछ कहने लगे
खामोश लब भी बोलने को हो बेचैन
अब लाऊंगी कहां से उन यादों को मैं
बहुत रोई पर कुछ समझ नहीं आया
शायद इसीलिए मैने तेरा नाम दिल रख दिया ......
कभी तेरा मिलना मुझसे होगा नही
कब का छोड़ दिया उन यादों को वहीं मैंने
जहां से हम दोनों नए सफर का आगाज़ किया था
तुम तो गहरी नींद में खोए हो
उस मिट्टी के अंधेरे से घर में
जहां सिर्फ तुम्हे महसूस कर सकती हूं
कभी पास बुला नही सकती सिवाय उन यादों के
बहुत रोई पर कुछ समझ नहीं आया
शायद इसीलिए मैने तेरा नाम दिल रख दिया......