मैं और मेरे अह्सास
हम तुम एक दूसरे के साथ साथ ही जिएंगे l
आँखों ही आँखों में मुहब्बत का जाम पिएंगें ll
आवारगी का शौक सिर चढ़कर बोल रहा ll
जम के मुस्तकिल हौसलों से दर्दो गम सिएंगे ll
प्यार किया है कोई बड़ा गुनाह नहीं किया l
किसीसे भी नहीं बस एक खुदा से बिएंगे ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह