मैं और मेरे अह्सास
मृग तृष्णा के पीछे कहाँ तक भागोगे l
प्यास बुझाने के लिए कहां जाओगे ll
पूरी शिद्दत से क़ायनात साथ देगी l
ग़र मन में ठान लो सब कुछ पाओगे ll
चाँद सितारे क़दमों में बिछा देगे तभी l
चहेरे पर हसी मुस्कुराहट लाओगे ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह