मशरूफ था मैं मेने ये गुनाह क्या
कुछ पल के लिए मेने उसे भुला दिया
वो इंतजार करता रहा मेरा दिन भर
और मैने ही उसका दिल दुखा दिया
वो तड़पती रही एक मुलाकात के लिए
मेरी गलतियों ने उसे भी रुला दिया
एहसासों को उसके समझ ना सका में
जज़्बात ए ख्वाब को मेने सुला दिया
-गुमनाम शायर