क्या कहती हो जिंदगी
जिंदगी से मैने भी एक सवाल किया !!
वो भी मुस्कुराते हुए कहती
सिमरन बेटा मै हु रंग बदलती !!
अब मेरा भी लड़ने का मूड आया
और पूछ ही डाला इतने क्यों रंग बदलती
पता है इससे हमे कितनी तकलीफ होती !!
अब जिंदगी भी हंसते हुए कहती
रंग ना मैं बदलती तो तुम कैसे जीती
क्या खुशियों के रंगों के बिना
तुम्हारे चेहरे पर मुस्कान आती !!
क्या दुख के रंगों के बिना
तुम लड़ना सिख पाती!!
क्या उम्मीदों के रंगों के बिना
तुम किसी चीज को पाना चाहती !!
क्या तुम प्यार के रंगों के बिना
मोहब्बत को रब मानती !!
क्या तुम नफरत के बिना
किसी से झगड़ा कर पाती!!
क्या तुम दया के बिना
किसी की मदद कर पाती!!
क्या तुम रिश्ते बनाए बिना
लोगो की अहमियत समझ पाती !!
क्या प्यार दिखाए बिना
तुम किसी का सहयोग पाती!!
क्या तुम शांति के बिना
एक सुकून का एहसास कर पाती!!
क्या तुम शोर के बिना
लोगों में घुल मिल पाती !!
क्या दूरियों के बिना
तुम अपने दिल को समझ पाती !!
अब बताओ अगर मैं रंग नहीं बदलती
क्या तुम्हारी जिंदगी में खट्टे मीठे लम्हों की पहचान होती !!
simran Creations