कानून ब-राज
कानून ब-राज ज़िम्मेदारी हर घर दे
एखबर, हक ज़रूरत सफल कर दे ।
क़ाबिल-ए-फ़लाहत समाज की हिफाजत
चलो तरक्की अच्छी ठीक, ये अहसास भर दे ।
कानून ब-राज ज़िम्मेदारी हर घर दे!
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गमो सार गुलामी और रिश्वत की धरा सरसाग
बामुलाईज्जा, सरमुख से हमे ही मुलजिमान
सोखिया ए गुस्ताखिया, कुछ बंद है ये शायर
इस बार भी इलज्जामात सरकोर बरहाल कर दे
कानून ब-राज ज़िम्मेदारी हर घर दे!
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समय सिसकता अटल क्षत्र, शामिन शोर सलाख
ये मय-सर से उठी है आग हाला, प्याला इतमिनान
कुछ टीप भी हजम हमसे ना मुई रहबर ए तोहमत
काश पानी बती चल बसी, गर्मीया तपिस कम कर दे
कानून ब-राज ज़िम्मेदारी हर घर दे!
जुगल किशोर शर्मा बीकानेर से प्रेम भेंट