जान ए आलम अभी वक़्त का दरिया है,
सदियों की तकदीर, बस फैसले दिलजान है।
यादों के कतरें, जान ए जहॉं समाये हम,
वक़्त बदल गया, दगा ही हयात ए जान है।
रोज़ मरदान हैं,मुलाक़ात एक अजनबी है,
झूठ का पर्दा, हकीकत रूह ए जान है।
मुश्किलात के बाद, नई इम्तिहान जबाल है,
सर उठाके चलना, हामिल ए जान है।
तारें गिनती से बाहर, बे-हिसाब मरहला हैं,
मेरी मोहब्बत भी, इस दफा शिरिन ए जान है।
हर फैसले ने जिंदगी का रास्ता जुबा ए जान है,
मेरी चाहत का हिसाब, तारे ही कलब ए जान हैं।