निगाहों में साफगोई, जुबा परेशा है
दिलों की बातें, खामोशिया बेपनाह है।

रोज़ मुलाक़ात, गर मुलाकात का इज़हार है,
शिहर जाती हरेक धरकन, बेजा-बहार है।

शराफत या दिलैरी, बातों में कहॉं बयां है,
तालुकात ए जज़्बात जो मौसम बेज़ार है।

जिंदगी प्यार वफा, कदमों का इम्तेहान है,
रस्तों की संगिनी, दोस्ती का इखतयार है।

महकती राहों में, राह गुजारी का इंतज़ार है,
हकीकत बस, चमकते आसूं इज़हार है।

अक्सर लवाजिश, गहराई छुपी होती है,
पैगाम ए दरिया, गुज़रने का इंतज़ार है।

संजीदगी इसबार, बेनक़ाब ज़रूरी भी है,
राघव ए हुंकार, बस मजलिसे इज़हार है।
***

Hindi Film-Review by JUGAL KISHORE SHARMA : 111933448
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