तुझसे मिलने की दुआ नहीं माँगती !
माँगती बस इतना कि तु मिलना चाहें तो मैं
तुझसे जरुर मिलूँ !
मैं प्रेम करूँ तुझसे अथाह ! ! ! जो तु चाहता हो मुझसे तो !
जो तु चाहे तो भुला दूँ तुझे मैं! मेरे कतरों से भी तु बाहर रहे !
तु जिसे चाहे मिले वहीं ! जो मेरा नही तो मुझमें न हो !
विश्वास का मुझे पता नहीं !
मगर ! ! चाहती हूँ कि हो ! तुझमें तो तेरा विश्वास कभी टूटे नहीं !
मैं देख सकती नहीं ! भेद सकती नहीं ! तुझमें शामिल भावना को जो होगी कहीं मगर ! !
मैंने हर बात उससे कही जिससे हर बात कही !
इंतजार के पुष्प मुरझाये नहीं जो शिद्दत से पकड़ाये हों
हो तुमने हो मुझसे ज्यादा तुझमें तो मुकम्मल हो सभी ।