डूबता सूरज कहता, दिन भर करके काम
मैं भी अब थक गया हूं
इसलिए करने चला, मैं अब रात भर विश्राम।
नव ऊर्जा से संचित हो ,मैं कल फिर आऊंगा
नकारात्मकता रूपी तम को पीकर
इस धरा को फिर प्रकाशमान बनाऊंगा।।
उदय- अस्त जीवन का है अटल सत्य
जिसने इसे कर लिया स्वीकार
जीवन की बाधाओं से वही मनुज होगा पार।।
सरोज ✍️
-Saroj Prajapati