खंजर

पुराना सा कोई मंजर,
सीने में खल गया,
ये उठा दर्द और
जी मचल गया।
बेफिक्री के आलम में
यादों का खंजर,
चला तो क्या बुरा था,
कि तू संभल गया,

अजय अमिताभ सुमन

Hindi Hiku by Ajay Amitabh Suman : 111928207

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now