“ना मजहब देखा ना वजूद,
जब महोब्बत हुई थीं तो रूह से हुई थी।”
" मेरे दिल की गहराइयों में तेरा प्यार दफ़न रहता है,
जहाँ भी रहता है ये जिस्म अब ओढ़े कफ़न रहता है;
हाथ भी छोड़ा तो कब, जब इश्क़ के हज को गया,
बेवफ़ा.... ग़रीब को तूने, कहाँ लाकर धोखा दिया।"
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