ना शराब मददगार न मोहब्बत के मकामी आंसू
ना हरामी पैसा, सत्ता कुर्सी धौंसगिरी या रूआसूं
छोड़ साकी मयखाना, ठोकरों में रखना ये पैमाने को
मोहब्बत मुगालका दुकाना, मुफतखोरी मजन जमाने को
सफर पै चलो जरूर, बहुत सोच के समझ के
रिश्वत कमीशन हफता, सब्जेक्ट नहीं बहस के
करम चंद मकरंद मधु दो दो हाथ मशाल
सेकेलुरी सरकार में जोय निहारी मजाल