मन मचलता है उड़ने को लेकिन,
मुझसे पंखों को फडफड़ाया नहीं जाता।
सजी हैं कुछ बेडियाँ मेरे पंखों पर
हीरे मोती से सजी, चमकदार और कीमती,
इसलिए पंखों का बोझ मुझसे उठाया नहीं जाता ।
सजाया था इन्हे मेरे जन्मदाता ने मेरे पंखों पर,
बडे लाड से, और साथ ही कहा था मुझसे कि,
इन बेड़ियों को कभी हटाया नहीं जाता।
बन गई हूँ मैं एक सामान सजावट का,
सुंदर, मंहगा और चमकदार पंखों वाला,
लेकिन मुझे किसी के सामने लाया नहीं जाता।
मैं तडपती हूँ, सिसकती हूँ, बिलखती हूँ,
खोलने के लिए अपने कोमल, सफेद पंखों को
लेकिन ये सुनहरा बोझ मुझसे घटाया नहीं जाता।
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