“उठ जाग, मुसाफ़िर, भोर भई”
उठ जाग, मुसाफ़िर, भोर भई
अब रैन कहाँ, जो सोवत है
उठ जाग, मुसाफ़िर, भोर भई
अब रैन कहाँ, जो सोवत है
जो जागत है सो पावत है
जो सोवत है सो खोवत है
उठ जाग, उठ जाग, उठ जाग
(उठ जाग, उठ जाग, उठ जाग)
टुक नींद से अखियाँ खोल ज़रा
ओ, ग़ाफ़िल, रब से ध्यान लगा
टुक नींद से अखियाँ खोल ज़रा
ओ, ग़ाफ़िल, रब से ध्यान लगा
ये प्रीत करन की रीत नहीं
रब जागत है, तू सोवत है
उठ जाग, उठ जाग, उठ जाग
(उठ जाग, उठ जाग, उठ जाग)
जो काल करे सो आज कर ले
जो आज करे सो अब कर ले
जो काल करे सो आज कर ले
जो आज करे सो अब कर ले
जब चिड़िया खेती चुग डाली
फिर पछताए क्या होवत है
उठ जाग, मुसाफ़िर, भोर भई
अब रैन कहाँ, जो सोवत है
उठ जाग, उठ जाग, उठ जाग
(उठ जाग, उठ जाग, उठ जाग)
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