विजया एकादशी
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली ग्यारस
तिथि को विजया एकादशी कहते हैं। सभी एकादशी तिथियों में विजया एकादशी तिथि की महिमा सर्वश्रेष्ठ
है। विजया का अर्थ ही विजय दिलाने वाले होते हैं।
यह व्रत अति उत्तम और तुरंत फलदाई होता है।
एकादशी तिथि पर निर्मल शुद्ध पवित्र मन से भगवान
श्री विष्णु जी का ध्यान करते हुए पूजन अर्चन करना चाहिए।
इस व्रत को भगवान श्री राम जी ने तथाकथित
मुनिवर के आदेशानुसार विधि विधान से किया ।
जिसके फलस्वरूप लंका पर विजय प्राप्त होती है
और भगवान श्री राम जी रावण को मारा और माता सीता को रावण के चंगुल से मुक्त कराया। यदि कोई भक्त या श्रद्धालु गण अपनी मनोवांछा रख कर विजया एकादशी व्रत का अनुष्ठान विधि विधान से करते हैं तो मनोवांछित सफलता प्राप्त होगी। बस
विधि वत पूजा करना चाहिए , और सुबह से दोपहर तक उपवास रखें । शाम को आरती और पूजा करके
निरामिष आहार लेते हैं तो भी व्रती शुभ फल मतलब कि विपरीत परिस्थितियों पर विजय प्राप्त करता है
साथ ही भयंकर विपत्तियों से भक्त मुक्त हो जाते हैं
एवं उन्हें भगवान विष्णु जी की असीम कृपा प्राप्त होती है।
एकादशी व्रत करने के लिए व्रती कलश स्थापना करते हैं। कलश में जल लेकर संकल्प करते हैं। कलश के ऊपर आम्र पल्लव पांच पत्ते वाले रखते हैं,
मोली लपेटें जाते हैं कलश के मुख पर। सफेद चंदन लगाते हैं। भगवान विष्णु जी की प्रतीक्षा को फूलों से सजाया जाता है। चन्दन तिलक लगाते हैं। अक्षत, पुष्प, गंगा जल,तुलसी दल अर्पित करते हैं। यथा संभव प्रसाद
जैसे फल , मेवा मिष्टान्न तथा पंचामृत अर्पित करते हैं।
अखंड ज्योति जलाए जाते हैं। यह ज्योति दिन रात
जलते रहते हैं। कलश के सामने बैठकर भगवान विष्णु जी की एकादशी व्रत कथा श्रवण करते हैं।
धूप,गंध , इत्र चढ़ाते हैं। पूजा की वेदी पर बैठ कर
भगवान विष्णु जी के चरणों में कीर्तन भजन कीर्तन करते । रात्रि जागरण होता है। ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करते हैं। सदाचार एवं सत्यवादी रहना चाहिए आज।
वस्त्र तथा दान सामग्री भगवान जी के चरणों में अर्पित करते हैं। पूजा पूरी होने के बाद एकादशी व्रत का मुहुर्त के अनुसार पारण किया जाता है।
अब पंडित जी के चरणों में प्रणाम करके दान दक्षिणा यथा संभव किया जाता है।
* हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे*।
हरि नाम संकीर्तन करते हैं।
हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल हरि बोल
के जयकारे लगाते हैं।
आज कीर्तन भजन के समय बताशे लुटाते हैं।
कोई भी जाने अंजाने अगर भूल चूक हो गई है
तो क्षमा प्रार्थना करते हैं।
विजया एकादशी व्रत का माहात्म्य अत्यधिक होता है। सभी एकादशियों में सर्वश्रेष्ठ और अति उत्तम फलदाई होता है।
जो लिखे, पढ़ें और श्रवण करे तथा हुं भी भरते हैं
तो उन्हें समान व्रत का फल प्राप्त होते हैं।
अकिंचन्य दासी अनिता मांगे मनोवांछित फल
तथा आने वाले साल में पुनः लिखने का वरदान
चाहती है एवं संतानों की मंगलकामना और
सलामती सबकी चाहती है।
जग मंगल करो हे विष्णु भगवान जी।
कोटि-कोटि प्रणाम।
जय जय विजया एकादशी व्रत।
जय जय रहे यह व्रत जो विजय दिलाए।
-Anita Sinha