सुविचार
बंधन में मत बाँधिए
हर रिश्ते को खुला छोड़िए
अपना जायेगा नहीं
और मतलबी ठहरेगा नहीं
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स्नेह अनकहे शब्दों
का संसार है जिसे
सिर्फ दिल ही
समझता है
….
वही करता और
वहीं करवाता है,
क्यूँ बंन्दे तु
इतराता है?
इक साँस भी नहीं
है तेरे बस की
वहीं सुलाता
और जगाता है ।
🙏🏻