मैं कहुँ और तुं मेरा काम कर दे ये ठीक मुझे नहीं लगता है !
मैं ना कहुँ फिर भी मेरा काम हो जाय वही ठीक लगता है ll
मैं हाँ कहुँ या ना कहुँ तो तूम कभी भी गुस्सा नहीं करते हो!
किंतु ज़ब गुस्सा करुँ आँसु बहाये वो अच्छा नहीं लगता है ll
सब बनठन घूमने जाते है कहीं भी तेरा मन क्यूँ नहीं होता हैं?
मैं पूछूं प्यार से बीच मे क्यूँ पैसे की बात पे झगड़ा होता है!!
- वात्सल्य