आज का इंसान — एक जिंदा शव
• सफलता = दिखावा + पैसा + फॉलोअर्स
• फैशन = पहचान
• धन = सुरक्षा
• चेयर/पद = सम्मान
पर भीतर?
एक मशीन जैसा भागता हुआ डर।
जैसे किसी पराए लोक से आया हो—
“जल्दी कमा, जल्दी भोग, जल्दी भाग…”
भविष्य का डर →
वर्तमान की हत्या।
💔 ऊर्जा गलत जगह बिक रही है
प्रेम की ऊर्जा?
शांति की ऊर्जा?
आनंद की ऊर्जा?
संतोष की ऊर्जा?
सब “पैसे में बदल दो” वाली भट्टी में झोंक दी गई है।
और लोग प्लास्टिक को पूज रहे —
जैसे वह सोना हो।
> गोबर पड़ा रहे तो कचरा,
खेत में जाए तो अन्न बन जाता है।
जीवन ऊर्जा रूपांतरण ही जीवन है।
भीतर जो ऊर्जा उसका रूपांतरण ईश्वर बोध हैं।
अद्भुत का खर्च कर हीरा फेंक कार जांच इक्कठा करना की आधुनिक कहते सुख कहते है।
अंदर की कमाई → खजाना
लोग उसे कचरा समझ
बाहर का कबाड़ जमा कर रहे।
💠 हीरा vs काँच
हीरा छोटा — पर चमक अपनी।
ऊर्जा भीतर की।
काँच बड़ा — पर चमक उधार।
दूसरी रोशनी चुरा कर जीता।
आज का इंसान →
एक बड़ा काँच।
भीतरी प्रकाश शून्य,
बाहरी रोशनी पर निर्भर।
🌱 असली जीवन क्या है?
जहाँ:
• ऊर्जा प्रेम बने
• ऊर्जा शांति बने
• ऊर्जा आनंद बने
• ऊर्जा संतोष बने
यही समृद्धि।
यही ईश्वर का स्वाद।
यही बोध की खुशबू।
यही असली “जीना”।
“इंसान काँच को हीरा मान बेच रहा,
और हीरे को काँच समझकर फेंक रहा है।”
ही आधुनिक नर्क।
यही गुमराह सभ्यता।
यही जीवित मौत।
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Vedānta Life — From Energy to Awareness”
(वेदान्त जीवन — ऊर्जा से चेतना तक)
©Vedānta 2.0 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲 —