बदलाव !
कुछ आकस्मिक,
कुछ अंजान ,
कुछ परिस्थितियों की परवान !
कुछ इच्छाओं की
मेजबान !
कुछ आवश्यकताओं का मर्तबान !
कुछ मजबूरी की आँखों से आँसू बनकर ! चढ़ जाता है परवान । मगर!!!
बदलाव तोड़ देता है विश्वास की एक ईंट !
हिला देता है दीवार आशाओं की
-Ruchi Dixit