सोपान
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प्रथम सोपान पर मंजिल है खड़ी
सफलता की कुंजी उसी से जुड़ी
कदम जो उस पर रखा ही नहीं
जीवन जीने की राहें न जान पड़ी।
हर राह दिखाती एक नया सोपान
कहाँ है जीवन का वह मधुर गान
मन का सागर तो गहरा है बहुत
जीवन नैया को पार करना है तूफान।
भ्रम-संशय आकर तो आँखें दिखाता
तरह-तरह से सदा सबको है लुभाता
भूल- भुलैया की नगरी में चक्कर काटे
भक्ति का सोपान मगर सबको जगाता ।
आभा दवे
मुंबई