मुलाकात अधूरी छोड़कर,
कहां चले गए थे तुम।
हमसे भी कोई खास था,
उससे मिलने गए थे तुम।।
हो कोई खास अगर तुम्हारा,
तो हमें जरूर बताना तुम।
मिलने की इच्छा हमें भी है,
इस बात को भूल न जाना तुम।।
मोहब्बत करते हो उससे,
तो सबके सामने लाना तुम।
पीठ पीछे इश्क लड़ाकर,
उसको दगा नहीं दे जाना तुम।।
मिलना मिलाना करते रहना,
परिवार को भी बताना तुम।
सामजस्य बैठ जाए दोनों में,
तो एकसूत्र में बंध जाना तुम।।
हम दोनों तो दोस्त थे , है,
निभाओगे ये दोस्ती तुम।
इश्क के चक्कर में आकर,
दोस्त को तो नहीं भूल जाओगे तुम।।
अक्सर लोग प्रेम,दोस्ती में,
सिर्फ प्रेम को ही चुनते हैं।
दोस्त को प्राथमिकता देकर,
दोस्ती की मिशाल दे पाओगे तुम।।
किरन झा (मिश्री)
-किरन झा मिश्री