थोड़ी बहुत कहासुनी से,
क्यों अपने दूर हो जाते है।
दिल पर हर बात को लेकर,
परायों जैसा बर्ताव दिखाते हैं।।
कुछ बातें वह ऐसी बोलते,
जिससे दिल दुख जाता है।
नहीं समझते शब्दों का अर्थ,
ये किसी को पीड़ा पहुंचाता है।।
किसी ने कही किसी ने सुनी,
कुछ सुनकर अनदेखा करी।
बात ज्यादा बिगड़ न जाए,
कुछ क्षण मन को मौन सही।।
शांत मन से दूसरे की बातें,
बाद में समझ में आती हैं।
गर्मा गर्मी के माहौल में,
बातें अक्सर बिगड़ जाती हैं।।
अपने हृदय की बातों को,
ईश्वर के सामने बोल दो।
वही उबारेंगे हर स्थिति से,
सब कुछ प्रभु पर छोड़ दो।।
किरन झा (मिश्री)
-किरन झा मिश्री