विषय - तेरे जाने के बाद
दिनांक -21/01/2024
कैसे यह जीवन बीत रहा,
तुम्हारे चले जाने के बाद।
अपने भी साथ छोड़ रहे,
गुमनामी का देकर प्रसाद।।
एक स्त्री के विधवा होने पर,
सारे रंग क्यों छीन लिए जाते।
काला सफेद के रंगों से,
सारे अरमान बेरंग किए जाते।।
हँसी खुशी के माहौल से,
दूर उसे क्यों किया जाता।
शुभ कार्यों से दूर रखकर,
अशुभ का दाग दिया जाता।।
स्त्री सुहागन न होने पर,
लोगों की नजरें बदल जाती।
अपने ही गिद्ध से नजर आते,
ये दुनियां नया सबक दे जाती।।
तुम्हारी उन यादों का मंजर,
ख्यालों में बार बार है आता।
कैसे जियूंगी अब तुम्हारे बिन,
ये सोचकर मन अश्रु से भर जाता।।
तुम तो चले गए छोड़कर,
साथ हमें भी ले जाना था।
ये जिंदगी अब बोझ लगती,
नहीं किसी का अब सिरहाना था।।
तुम्हारे ऐसे जाने के बाद,
लोगों ने अपने रंग दिखाएं है।
जिन्हें हम अपना समझे थे,
उन्हीं के लिए अब पराए है।।
हे ईश्वर कभी किसी स्त्री को,
विधवा नाम का दंश मत देना।
जीते जी ये दुनियां मार देती,
और देती अभिशाप का गहना।।
किरन झा (मिश्री)
-किरन झा मिश्री