राष्ट्रपुत्र ने जब से सिंहासन संभाला है।
सुसुप्त हिंदुओं को निंद्रा से जगा डाला है।।
खंडरों में बांग भरने वाले भी राम राम गा रहें।
दुनिया जान चुकी है अवध में राम आ रहें हैं।।
कवि : हिंदी जुड़वाँ : 2024
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अदना सा गुलाम उनका, गुज़रा था बनारस से
मुँह अपना छुपाते थे, काशी के बुत-खाने।
शायर : नज़ीरबनारसी : 1955