कैसे हो तुम, कहां हो तुम,
तुम्हारे आने का इंतजार है।
आंखें ढूंढती है बस तुम्हें,
क्या यही सच्चा प्यार है।।
तुम्हारी बातें,तुम्हारा ख्याल,
इस दिल के बहुत पास है।
अपना दीवाना बना दिया,
इस बात का तुम्हें एहसास है।।
प्रेम का दीप तुमने जगाकर,
दिल में जगह कर दी खास है।
इस लॉ को बुझने नहीं देना,
नहीं तो वो दिन,फिर काश है।।
तुम दोगे हमेशा साथ मेरा,
यही उम्मीद और आस है।
किसी की चाहत नहीं मुझे,
तुम्हारी ही बस प्यास है।।
तुम्हें पाने की चाहत में,
अपनों की गिरी अब गाज है।
तुम्हें चाहा है,तुम्हें ही चाहेंगे,
इस बात को रखना अब राज है।।
किरन झा (मिश्री)
-किरन झा मिश्री