रहस्यमय
ठंड का मौसम था। रास्ते पर इक्का-दुक्का लोग
दिखाई दे रहे थे। सभी अपने अपने घर में रजाई में
दुबके हुए थे। गांव की पगडंडियों पर चलते हुए रीता
अब थक गई थी। उसे लग रहा था कि यह रास्ता
खत्म नहीं होंगा क्या ? परन्तु अपने घर वापस तों
जाना है। रास्ते के दोनों ओर जंगल ही जंगल है।
जितना चलते जाएं यह जंगल रहस्यमय होता जा
रहा है।
कभी कुत्ते की भौंकने की आवाज तो कभी
सियार की हुंआ हुंआ सुनकर मन कंपित हो गया
है। हर तरह से भय सता रहा था। किसी ने कहा था कि तुम रहस्यमय जंगल के रास्ते से घर मत जाना
लेकिन रीता को तो जैसे रोमांचकारी अनुभव करने
का मन हुआ है। इसलिए उसने इस भयंकर रहस्यमय जंगल का रुख किया है।
जंगल का सिलसिला जब खत्म नहीं होता है
तो प्रतीत होता है कि हम सही रास्ते पर चल रहे हैं
या फिर रास्ते भटक गए हैं। वैसे इस डरावने जंगल
में शेर ,चीता , तेंदुए तथा चमगादड़ एवं अन्य जीव जन्तुओं का निवास है। ऊदबिलाव की आंखें देखकर
कोई भी व्यक्ति डर जाता है। अंधेरे में उसकी आंखें चमकती है।
जितनी दूरी तय करने लगी थी उतनी रहस्यमय
सफर होती जा रही थी। अब भय से मुक्ति के लिए
रीता ने गेस्ट हाउस में रूकना सही समझा। वो अब
इस रहस्यमय जंगल से जीवन बचानें के लिए गेस्ट हाउस में रूककर शांति से रहना चाहती थी।वो
जब कि जंगल में आफिसर है। इसलिए जंगल से
डरती नहीं है परन्तु जीवन को यूं ही रोमांचक अनुभव करने के लिए वो रहस्यमय जंगल के सफर का अंत
चाहती थी।
-Anita Sinha