चलो अब चल निकलते हैं।
सारी दुनिया में प्यासे सभी है।
राधा भी रही आधी अधूरी।
मीरा ने खाया अपना राज पाट।
प्यास सबकी कहां पूरी होती है यहां।
इंतजार करना अपने बस की बात नहीं।
राधा ने तो छोड़ दिया था अपना अस्तित्व ।
साथ दिया रुक्मणी का तो छोड़ दी बांसुरी ।
तु पल पल तड़पता था तो क्यों हम फंसे ।
इन बेकार की बातों में।