उगता सूरज.........................
उगता सूरज नई आस की प्यास हैं,
कल को भुल नई सोच का आगाज़ हैं,
हिम्मत है उसकी कि वो हम जैसो के साथ हैं,
मायूसी के बीच जो रोज़ निभाता साथ हैं,
हम कल - कल करते रह गए,
वो साथ में चलता रहा,
खुशी का मंज़र दिखाया उसने,
और गम में हमारे साथ रहा,
हम अंधेरे के प्रेमी उसको कभी समझ ही ना सकें,
करते रहे चाँद और तारों से बातें,
सूरज को पर्दों के पीछे छुपाते रहे,
वो भी अपनी ताज़ा धूप लेकर हम पर बरसता रहा,
हमारे टूटे हुए हौंसलों को नई सुबह के के साथ मज़बूत करता रहा.
स्वरचित
राशी शर्मा