सिर्फ़ ख़ंजर ही नहीं आँखों में पानी चाहिए
ऐ खुदा दुश्मन भी मुझ को ख़ानदानी चाहिए
शहर की सारी एलिफ़-लैलाँएँ बूढ़ी हो चुकी
शाहज़ादे को कोई ताजा कहानी चाहिए
मैं ने ऐ सूरज तुझे पूजा नहीं, समझा तो है
मेरे हिस्से में भी थोड़ी धूप आनी चाहिए
मेरी क़ीमत कौन दे सकता है इस बाज़ार में
तुम जुलेखा हो तुम्हें क़ीमत लगानी चाहिए
जिंदगी है इक सफ़र और ज़िंदगी की राह में
ज़िंदगी भी आए तो ठोकर लगानी चाहिए
मैं ने अपनी खुश्क आँखोंसे लहू छलका दिया
इक समुंदर कह रहा था मुझको पानी चाहिए
राहत इंदोरी