ठाकुर बाड़ी में दिवाली
पर काली पूजा।
जय जय मां शारदे। कृपा करो हे मां शारदे।
लेखनी को नमन हे मां शारदे। लेखों को उत्कृष्ट बना दे हे मां शारदे। कोटि-कोटि प्रणाम हे मां शारदे।
जय जय मां शारदे।
बोस बाबू सपरिवार ठाकुर बाड़ी आ गये थे।
सेवादारो को ठाकुर मां कह कर गयी थी कि प्रत्येक
वर्ष की तरह ही इस बार भी मां काली की पूजा की तैयारी करके रखना तुम लोग । हम लोग बस गांव
में काली पूजा की सारी व्यवस्था करके रात को आ
जाएंगे ठाकुर बाड़ी में। अपनी योजना के अनुसार
बोस बाबू घर आकर यहां पर पूजा पाठ करने की
व्यवस्था में लग गए हैं।
जैसा बोस बाबू ने आदेश दिया था सेवादारों को
ठीक उसी तरह काली पूजा की तैयारी की गई थी।
कमला देवी वहीं पर गांव में रहेंगी । उनके देख रेख में
सभी सेवादार अपनी सेवा देंगे।
गांव से आने पर बच्चे काफी थकान महसूस कर
रहे हैं तो वे लोग घर पहुंचते ही तुरंत बाद सो गए थे।
अब ठाकुर मां,बोस बाबू और उनकी पत्नी को तो
कल सुबह जल्दी उठकर मां काली की पूजा विधि विधान से करनी है। रात में सभी लोगों ने कड़क चाय
इलायची और अदरक वाली पी। तत्पश्चात् कुछ देर
तक सभी लोगों ने निर्णय लिया कि काली पूजा के
काम कहां से शुरू करें कि क़रीब सुबह साढ़े नौ
बजे तक पूजा पाठ शुरू हो जाए।
बोस बाबू ने अपनी पत्नी से कहा कि तुम डायरी
में लिखो कि कौन कौन से काम करने हैं। उनकी पत्नी ने कहा, बोलिए , मैं लिखने को तैयार हूं।
सबसे पहले नम्बर वन में लिखो।
१. पंडित जी को फोन पर समयानुसार खबर देनी होगी
२. बागान से फूल , बेलपत्र तथा तुलसी दल एवं फल , दूर्वा तोड़कर रखना होगा।
३.दूध ,दही, गंगाजल ,अक्षत , फूलों के हार ,
सात प्रकार के फल जैसे नारियल केला संतरा अमरुद गाजर सेव तथा शकरकंद नाशपाती खीरा अनार आदि।
४. भंडारे का आयोजन समय पर होने चाहिए।
५. ठाकुर बाड़ी की साफ सफाई सूर्योदय से पहले हो जानी चाहिए। आंगन में पूजा स्थल पर गोबर से लीप दिया जाए तत्पश्चात् रंग रोगन करके फूलों से
सजाए जाएं। स्वस्तिक चिन्ह पूजा स्थल के दोनों ओर बनाने है। अल्पना का काम , फूलों के वंदनवार
लगाने हैं। फूलों के हार मां काली के लिए, पूजा के फूल, पंडाल में मां की प्रतिमा का श्रृंगार । मां की प्रतिमा के आगे बाड़ लगाने का काम, पंडाल में भक्त गण संगत गण तथा श्रद्धालु गण सभी लोगो के बैठने का इंतजाम किया जाना है।
६. कुर्सियों का इंतजाम, पूरे भवन में दरी बिछाना
तथा फूलों के पौधे से भवन सजाने वाले कारीगर
को सुबह ही खबर देकर तत्काल सेवा।
७. पूजा पाठ के लिए पानी सेवा।
पंडाल की साज सज्जा तथा रौनक बढ़ाने के लिए खास फूलों का श्रृंगार।
इतना सब काम सबेरे कराने का जिम्मा सौंपा गया है बोस बाबू की पत्नी को। उन्होंने अपने पति से कहा,ठीक है। सब काम समय पर हो जाएगा।
अब सभी लोग कम से कम दो घंटे तक सो लेंगे
उसके बाद सुबह से मां काली जी की सेवा शुरू हो जाएगी। शुभ रात्रि एक दूसरे को कहकर सभी लोग
निद्रा देवी के गोद में चले गए थे।
सुबह का सूरज उदय हो रहा था शनै शनै गगन में
लालिमा दिखाई दे रही थी। बड़ा ही मनोरम दृश्य देखने में लगता है। अरुणिम वेला और पक्षियों का
कलरव करना मन को आनंदित करने में सक्षम हो जाता है। इसमें कोई संदेह नहीं है। आलस्य त्याग
कर आज करीब करीब सभी लोग जग गये हैं।
बोस बाबू की पत्नी ने सेवादार से कह कर सभी लोगों के लिए अदरख और इलायची की कड़क चाय
बनवायी है।
सेवादार ने सभी को हाल में जाकर चाय का कप
पकड़ाया। अब ठंड बढ़ रही है इसलिए आंगन में
कोई नहीं बैठेंगे। हाल में चाय पीते हुए आज की
व्यस्त दिनचर्या पर सभी लोग चर्चा कर रहे हैं। चर्चा
का मुख्य विषय है मां काली की पूजा।
जो पूर्वजों
के समय से चली आ रही है, जिस प्रकार से हर साल
पूजा होती आई है उसी प्रकार से हर साल मां काली
की पूजा करते हैं ठाकुर बाड़ी में सभी लोग।
आज लोगों की आवाजाही अत्यधिक बढ़ गई है।
सेवादार लोग साफ सफाई करने में व्यस्त हो गए हैं।
कोई बागान से फूल , बेलपत्र ,तुलसी दल तथा फल
मूल तोड़कर टोकरी में रख रहे हैं। फिर कोई सुबह
डेयरी से दूध , दही लाने के लिए निकल पड़े हैं।
बोस बाबू ने दो पुरोहितों को फोन करके बताया है कि आज यहां पर मां काली की पूजा होनी है।तो समय
पर पहुंच कर मां काली की पूजा विधि विधान से
करना शुरू करें। सादर नमन आपको। इतना कह कर
बोस बाबू ने आज की पूजा पर आमंत्रण करने के लिए सभी लोगों को फोन पर खबर किया।
मोहल्ले टोले,आस पास तथा खास
व्यक्तियों को
सेवादारो को भेजकर आमंत्रित करने को कहा।
कीर्तन भजन मंडली को पहले ही खबर दिए गए हैं
तो वे लोग दिन में पहुंच जाएंगे। बाजे गाजे तथा ढोल ढाक एवं झांझर तथा मंजीरा आदि का इंतजाम कर
लिया गया था। विशेष विशेष अतिथि सबों को बोस बाबू और उनकी पत्नी दोनों ने स्वयं जाकर आमंत्रित किए हैं। ठाकुर मां आज मां काली की पूजा का सारा
इंतजाम सेवादारों से कहकर करवाएंगी।
बच्चे सभी जग गये हैं। ठाकुर मां ने बच्चों को मुंह हाथ धोकर फ्रेश होने को कहा। बच्चों के लिए आज
निरामिष व्यंजन बनाए हैं, साथ में फल ,दूध वगैरह
दिए जाने हैं। खैर ये सब ठाकुर मां देख लेंगी। नाश्ते के बाद बच्चों को अल्पना बनाना है तथा पेंटिंग के द्वारा कलाकृतियां दीवारों पर बनानी होगी। जिसका
मुख्य उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना है।
बच्चों को सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करने की इच्छा
है तो ठाकुर मां ने कहा, बिल्कुल करो सांस्कृतिक प्रोग्राम, इससे तुमहारे मनोबल को बढ़ावा मिलेगा।
इसके अलावा बच्चों को गुलाब फूल की सजावट
पंडाल में करनी है , सामर्थ्य के अनुसार । यह मां काली जी की सेवा होगी।
मदन जी को बच्चों का दिन रात ध्यान रखने को
कहा गया है। बोस बाबू और उनकी पत्नी दोनों
पूजा में व्यस्त रहेंगे इसलिए मदन जी को बच्चों का
ख्याल रखते हुए भंडारे का आयोजन भी करने की जिम्मेदारी दी गई है।
पूजा पाठ की सामग्री लाने के लिए सेवादारों को
भेज दिया गया है। बस आते ही होंगे। तब तक
मंदिर की साफ सफाई करके पूजा अर्चना होगी।
यह पूजा नित्य प्रति दिन की है तो अलग पुरोहित जी
करेंगे मां काली की आराधना।
मंदिर में सभी देवी देवताओं को स्नान कराया जाता है। फिर साफ तौलिए से पोंछ कर बड़ी टोकरी
में रखा गया है। तिलक चंदन लगाते हैं। नये परिधान
पहनाते हैं। फूल बेलपत्र तथा तुलसी दल एवं जिन देवी देवताओं को जो वस्तुएं चढ़ाई जाती है वो
चढाते हैं। मंदिर में रंगोली बच्चे बनाते हैं। अल्पना तथा। स्वस्तिक चिन्ह बनाते हैं। मतलब कि फर्श
की सजावट की सेवा बच्चे करते हैं।
अब ठाकुर बाड़ी के सभी सदस्य लोग स्नान ध्यान करके तैयार हो गये हैं। पुरोहित जी बस मां काली जी
की प्रतिमा का अनावरण करेंगे। शंख ध्वनि होती है।
महिलाएं ऊलू देती हैं। जयकारे लगाते हैं। पूजा की थाली, प्रसाद की थाली तथा बड़े बड़े परातों में प्रसाद लगाते हैं। धूप दीप और आरती का सामान सजाते हैं।
कलश स्थापना करके विधि विधान से पूजा करते हैं।
पंडित जी शीश वाले नारियल कलश के मुख पर
रखते हैं। उस पर लाल गमछा रखते हैं। स्वस्तिक चिन्ह बनाते हैं। कलश पर सिन्दूर से पांच टीका लगाते हैं।
मां काली की पूजा में जिन चीजों की आवश्यकता होती है सभी चीजें चढ़ाते हैं। सबसे पहले मां काली जी की पूजा करने के लिए अक्षत सिंदूर पुष्प चंदन गंगाजल चढाते हैं। उसके बाद
मां काली को लाल साड़ी ,शाखा ,सिंदूर ,आलता चूड़ी, बिंदी ,काजल ,मेहंदी तथा लिपिस्टिक ,नेलपालिश एवं
अन्य श्रृंगार प्रसाधनों से सोलह श्रृंगार किया जाता है।
स्वर्णाभूषणों से सजाते हैं। लाल फूलों के हार पहनाते हैं। बेलपत्र चढ़ाते हैं। कमल फूलों के हार अर्पित करते हैं। सात सुहागिनें मिलकर मेहंदी लगाती हैं।
केश विन्यास किए जाते हैं। मां के केश में फूलों की
वेणी लगाते हैं।
फल प्रसाद संकल्प करते हैं पंडित जी।अब मंत्रोंच्चार के साथ मां काली की अमावस्या तिथि पर पूजा करते हैं। भक्त गण संगत गण तथा श्रद्धालु गण सभी लोग प्रसाद मां काली के चरणों में चढ़ाते हैं।
दोनों पंडित जी सभी प्रसाद का नाम गोत्र के हिसाब से संकल्प करते हैं। इस कार्य में दो तीन घंटे लगते हैं।
अब नियमानुसार मंत्रोंच्चार के साथ पंडित जी पूजा करते हैं। बोस बाबू और उनकी पत्नी दोनों पूजा पर
बैठ गये हैं। दोनों पति पत्नी संकल्प करते हैं। उसके बाद पंडित जी की आज्ञानुसार मां काली की पूजा आरंभ किया जाता है।
भक्त गण संगत गण तथा श्रद्धालु गण सभी लोग
हाल में बैठे हुए हैं। बच्चों की सीट सबसे पहले वाली
कतार में लगाई गई है। मदन जी भंडारे का आयोजन कराने में लगे हुए हैं। सात प्रकार के व्यंजन ,पुलाव,
खिचड़ी, खीर, हलवा , टमाटर की मीठी चटनी, पापड़
भंडारे में बनेंगे। दही, मिष्टान्न तथा रसगुल्ला ,सूखी
मिठाई , छेना संदेश आदि मीठे में रखे गए हैं।
हां, तो मां काली जी की पूजा अब हो गई है।
बस आरती हो रही है।ढोल ढाक झांझर और करताल तथा बाजे गाजे निरंतर बजते हैं।
भक्त गण संगत गण तथा श्रद्धालु गण सभी लोग मिलकर जयकारे लगाते हैं। झूमते नाचते और गाते हैं। महिलाएं मां के चरणों में गीत गाती हैं।
बच्चे भजन गायन करते हैं। साथ ही कीर्तन भजन करने वाले लोग अपना प्रोग्राम शुरू करते हैं। भक्तिमय माहौल हो जाता है। मां काली को भोग लगाया जाता है। तत्पश्चात् प्रार्थना करते हैं।
मंत्रोंच्चार के साथ प्रार्थना मंत्र के द्वारा प्रार्थना करते हैं। अब शांति जल छिड़का जाता है। पंडित जी को प्रणाम करके दान दक्षिणा देकर कृतकृत्य होते हैं।
पंडित जी सभी लोगों को मंगल टीका लगाते हैं।
सभी लोगों के हाथ में पंडित जी रक्षा सूत्र बांधते हैं।
मां काली के चरणों में प्रसाद वितरण किया जाता है। सेवादार लोग प्रसाद बांटते हैं। स्नान जल प्राप्त करते हैं।
भंडारे बंटने आरंभ हो गये हैं। मदन जी की देखरेख में सेवादार लोग मिलकर सभी आए हुए
श्रद्धालुओं को भोग प्रसाद देते हैं।
अब बोस बाबू और उनकी पत्नी मां काली के चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम करके आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। तत्पश्चात् पंडित जी को प्रणाम करके दान दक्षिणा देकर कृतकृत्य होते हैं।
पंडित जी अभी रूकेंगे।ये दो दिनों की पूजा होती है।
दिवाली के सुबह पंडित जी मां काली की पूजा करते हैं। भोग लगाया जाता है। हवन होता है। उसके बाद
मां काली की विसर्जन पूजा करते हैं।
आज मां काली के चरणों में जागरण होता है।
पूजा करीब साढ़े तीन बजे रात तक चलती रहती है।
सुबह पांच बजे से शुरू होता है फिर भोग प्रसाद वितरण और शाम रात तथा दूसरे दिन तक चलता रहता है।
प्रसाद पैकिंग सेवा बच्चे करते हैं। बच्चे लोग
नंबर के अनुसार भक्तों को प्रसाद देते हैं। इस कार्य में
समय काफी लगता है। परन्तु सेवादारों की देखरेख में
बच्चे प्रसाद बांटते हैं। मंदिर में सूखे प्रसाद की सेवा
भी बच्चे करते हैं। हर आने-जाने वाले लोगों को
प्रसाद बच्चे दो तीन दिन तक बांटते हैं।
इस तरह ठाकुर बाड़ी में मां काली की पूजा करते हैं।
आज सभी लोग अपने पूर्वजों को याद करते हुए
मां काली के चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम करके क्षमा मांगते हैं। सभी पूजा के स्थान पर दीपक दिखाते हैं,
शांति जल छिड़कें जाते हैं। प्रार्थना करते हैं।
आने वाले साल में फिर मां काली की पूजा करने
का संकल्प लेते हैं। आसते बछर आबार होबे।
जय जय मां काली कोटि कोटि प्रणाम।
ठाकुर बाड़ी में सभी के सहयोग से आज मां काली की पूजा सम्पन्न हुई।
जाने अंजाने यदि अकिंचन दासी से गलती हुई हो तो
क्षमा मांगते हुए विनीत दंडवत प्रणाम हे मां काली।
तेरे चरणों में संतान की रक्षा के लिए दासी अर्जी लगाई है। जो विचाराधीन है। दासी फिर आएगी
दिवाली पर लिखने के लिए हे मां काली।
दिवाली पर शुभकामनाएं एवं बधाइयां
सभी कोई को।
जय जय मां काली।
-Anita Sinha