चित्रगुप्त महाराज।
जय जय श्री चित्रगुप्त महाराज तुम्हारी जय हो
आज जम द्वितीया की तिथि पर चित्रगुप्त महाराज की पूजा होती है । कलम दवात आपके हाथों में
शोभा पाते हैं । कायस्थ कुल के भगवान हो आप। जय जय श्री चित्रगुप्त महाराज कायस्थ परिवार सभी मिलकर आज आपकी पूजा विधि विधान से
करते हैं । मां दुर्गा महारानी को नमन करते हुए
चित्रगुप्त महाराज आज आपकी पूजा करने में सक्षम हुए हैं।
तुम्हारी कृपा होती है तो हम लिख पढ़ पाते हैं ।
जो आज आपकी पूजा करते हैं वह आज कलम नहीं चलाते हैं ।
कलम की सेवा लीजिए हे महाराज जी।
तेरे भाल पर चंदन लगाएं। तेरे चरणों में शीश नवाएं।
लाल फूल चढ़ाएं हे महाराज।
नारियल ,लड्डू ,मेवा, मिष्ठान चढ़ाएं हे महाराज।
सफेद कागज पर स्वस्तिक बनाते हैं। उसके बाद
पांच देवता का नाम लिखते हैं।
उसके बाद आपका मंत्र लिखते हैं।
फिर कागज पर आमदनी और खर्च का ब्यौरा
लिखते हैं साल भर का।
तत्पश्चात् धूप दीप और आरती करते हैं।
कोटि-कोटि नमन करते हैं ।
जो भी आपकी व्रत कथा पढ़ते हैं, जो सुनते हैं ,जो हुंकार भरते हैं
आप सबको वैसे ही फल देते हैं ।आपकी कृपा से ही हम लेखनी चला पाते हैं ।
कर्मों का लेखा जोखा आप ही देखते हैं ।
आपको धर्माधिकारी का दर्जा दिया गया है।
जय जय श्री चित्रगुप्त महाराज जी।
आज कायस्थ कुल का त्यौहार मनाया जाता है।
यह पूजा सामूहिक रूप से की जाती है ।
नये नये वस्त्र पहनते हैं । आज
पूजा का भव्य आयोजन करते हैं । पूरी ,व्यंजन,
नारियल ,लड्डू हलवा , बूंदी ,बतासे और मेवा ,मिष्ठान चढाते हैं ।
पुष्पांजलि होती है आपके चरणों में।
जयकारे लगाए जाते हैं ।
चित्रकूट महाराज जी आपकी कृपा अपार है ।
आपके दर्शन पाए यही आशीर्वाद दीजिए ।
हे महाराज आपकी महिमा अपरंपार है ।
आपके चरणों में नत रहता संसार है तेरे चरणों में। कोटि-कोटि प्रणाम करके वरदान मांगे ।
सब पापों को खंडित करो महाराज।
काल को काट दीजिए हे महाराज।
पुण्य की जय हो हे भगवान।
रखिए संतान को चिरंजीवी और आयुष्मान
हे भगवान।
तुम ही हो माता पिता बंधु सखा हे भगवान।
दया दृष्टि दिखलाओ हे भगवान।
रक्षा करो हे चित्रगुप्त महाराज।
होहि सहाय होहि सहाय होहि सहाय।
जो शरण में आए तेरी कृपा पाए तेरी।
जय जय चित्रगुप्त महाराज।
क्षमा प्रार्थी हूं हे महाराज।
जाने अंजाने कोई भी भूल चूक हो गई है
तो क्षमा करें महाराज।
अनिता अकिंचन्य दास फिर आएगी लिखने
तेरे चरणों में। इसके लिए साल भर करेंगे इंतजार।
करो महाराज कृपा अपार। जय हो महाराज।
सुख शांति समृद्धि देकर वरदान।
देना हे महाराज सुरक्षित जीवन का वरदान।
संकट और विपदा से रक्षा करो हे भगवान।
विनती सुनो हे भगवान।
लेखनी नहीं रूके ऐसी कृपा कीजिए
हे चित्रगुप्त महाराज जी।
* आज के दिन जो भाई बहन के यहां आहार
ग्रहण करते हैं उन्हें चिरंजीवी होने का वरदान मिलता है। जमना बहन ने जम से अपने भाई की रक्षा का
वरदान मांगा था। उसी तरह अर्पणा और अर्चना
दोनों अपने हाथ से भाई को आज के दिन भोजन
कराने की कामना की है। आप इस कामना को
फलदाई करो।
* यह अर्जी लगाई गई है आपके चरणों में
हे चित्रगुप्त महाराज जी। शरणागति करो।
जय हो जय हो जय हो चित्रगुप्त महाराज जी।
कोटि कोटि प्रणाम।
-Anita Sinha