अहोई अष्टमी व्रत।
जय हो अहोई माता हम आए हैं तेरे द्वार।
याचक बनकर आए हैं करने पूजा अर्चना
और महिमा गायन लेखन का मांगे वरदान।
हे अहोई माता संतानों को देकर अभय वरदान
रखना चिरंजीवी और कालजई हे करुणामई
आनंदमई मंगल करणी माई।
तेरे चरणों में लिखने आई तेरा गुण गान हे माई।
ना जाने हम पूजा अर्चना और ना जाने विधि विधान।
करें अखंड अष्टमी व्रत तेरा और पाएं तेरी कृपा
अशेष अपार।
पान सुपाड़ी फूल रोली सिन्दूर फल मिठाई हलवा
पूड़ी चढ़ाएं हे अहोई माता।
जलाएं घी अगर और कपूर की बाती हे जग जननी
माता।
निस्संतान को संतान देकर बढ़ाती वंश तुम
करती हो घर आंगन चिराग से रौशन तुम।
जिस पर तेरी कृपा हो जाए हे मैया जी।
रहे अक्षुण्ण और दीर्घजीवी हे सुख शांति
दायिनी घट घट वासिनी मैया जी।
धूप दीप और आरती करें तेरा हे मैया जी
और करें तेरा जगराता हे माता।
कीर्तन भजन दरबार लगाएं
और डुलाएं चंवर दिन रात हे मैया जी।
अनिता अकिंचन दासी करे प्रार्थना तेरे चरणों में
हे अहोई माता जी।
रखना शीश पर वरद हस्त सदा संतानों पर
हे करुणामई दयामयी आनंदमई मंगल करणी
मैया जी।
फिर आएंगे लिखने तेरे चरणों में आने वाले साल में।
तब तक तेरे चरणों में भावों से प्रार्थना करते रहेंगे
हर अष्टमी तिथि पर हे अहोई माता जी।
कोटि-कोटि प्रणाम करो स्वीकार हे अहोई माता जी।
दंडवत प्रणाम मां।
-Anita Sinha