मां सरस्वती वंदना।
नवरात्रि पर्व पर मेरा कोटि-कोटि प्रणाम
हे मां शारदा भवानी।गककगशश
जय जय हे मां जगद्धात्री जग जननी
जग कल्याणी मां मैहर वाली।
त्रिकुटा पर्वत पर विराजती तुम हो हे मां शारदे।
आल्हा उदल सर्वप्रथम तेरी पूजा करते हैं
हे मां भवतारिणी विद्या दायिनी मां शारदे।
तुझे नित नित शीश नवाएं हे मां शारदे।
तेरे चरणों में शीश नवाएं सारे संसार
हे मां शारदे।
विश्व संचालिनी कहलाती तुम हो हे मां शारदे।
विद्या का वरदान देकर विद्वान् बना देती
तुम ही हो हे मां शारदे।
विद्या से विभूषित करती तुम हो हे मां शारदे।
विद्या का संचार हो हे मां शारदे।
लिखने पढ़ने का वरदान दे हे मां शारदे।
लेखनी बाधित हो रही है हे मां शारदे।
लेखन जगत को विस्तार दो हे मां शारदे।
कम से कम आधे दिन यूं ही निकल जाते हैं
तनाव और मानसिक वेदना में हे मां शारदे।
विषम परिस्थितियों से मुक्त करो हे मां शारदे।
लेखन जगत में लेखनी अबाध गति से चलती
रहे हे मां शारदे।
लेखन मेरी दिनचर्या बन जाए हे मां शारदे।
बस यही वरदान दो हे मां शारदे।
तेरी पूजा करें हे मां शारदे।
फल फूल और प्रसाद चढ़ाएं हे मां शारदे।
धूप दीप और आरती करें हे मां शारदे।
तेरे चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम मां शारदे।
भूल चूक माफ करो मां शारदे।
जय हो मां शारदे।
मनोवांछित फल प्राप्त हो हे मां शारदे।
जय हो मां शारदे।
-Anita Sinha