मां सरस्वती वंदना।
शब्द यदि मधुर हो तो कर्णप्रिय लगता है।
शब्द यदि कटु हो तों विष तुल्य माना जाता है।
शब्द को तोल कर हम बोलें तो मीठे रस सबके
मन में घोलें।
फिर त्रय ताप से क्यों तन मन डोले।
शब्दों की अधिष्ठात्री देवी तुम हो हे मां शारदे।
शब्दों की दुनिया तुम हो हे मां शारदे।
शब्दों से जीने की आस जगाती तुम हो
हे मां शारदे।
शब्दों में भरती सुधा रस धार तुम हो हे
मां शारदे।
मन को आनंदित और प्रफुल्लित कर देती
तुम हो हे मां शारदे।
शब्दों की महारानी तुम हो हे मां शारदे।
शब्दों की अधिकारिणी तुम हो
हे मां शारदे।
शब्दों के व्यंग्य वाण से दूर रखना हमें
हे मां शारदे।
कटाक्षपूर्ण बोली की गोली नहीं चले
हे मां शारदे।
शब्दों को सरस बना दो हे मां शारदे।
बेवजह तकरार से दूर रखकर दो
त्राण हमें हे मां शारदे।
संदेश और पत्राचार से फालतू बतकही
से बचा कर रखना हे मां शारदे।
कि दास तेरा अब है शरीर और स्वास्थ्य से
लाचार मां शारदे।
तेरे अधीन जीवन है मेरा हे मां शारदे।
पराधीन नहीं बनें और चलता रहे शरीर
यही कामना है हे मां शारदे।
तेरी पूजा करें हे मां शारदे।
तुम ही हो माता पिता बंधु सखा हे मां शारदे।
बेसहारा को सहारा दे हे मां शारदे।
जीवन को उबार दो हे मां शारदे।
मिथ्या प्रपंचों से दूर रहें हम यही कामना
है हे मां शारदे।
भूल चूक माफ करो हे मां शारदे।
जय हो जय हो मां शारदे।
कोटि-कोटि प्रणाम मां शारदे।
जय हो जय हो जय हो मां शारदे।
-Anita Sinha