प्रातः स्मरामि गणनाथमनाथबन्धुं सिन्दूरपूरपरिशोभितगण्डयुगमम् ।
उद्दण्डविघ्नपरिखण्डनचण्डदण्ड माखण्डलादिसुरनायकवृन्दवन्द्यम् ॥
जो इन्द्र आदि देवेश्वरों के समूह से वन्दनीय हैं, अनाथों के बन्धु हैं, जिनके युगल कपोल सिन्दूर राशि से अनुरञ्जित हैं, जो प्रवल विघ्नों का खण्डन करने के लिए प्रचण्ड दण्डस्वरूप हैं, उन श्रीगणेशजी का मैं प्रातः काल स्मरण करता हूँ ।
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