लिखने बैठी
तो सोचती हूँ
क्या लिखूं
ज्यादा शब्द भी नहीं
पास मेरे
कोई जुबान भी नहीं
ढंग से जानती
जिसमे लिखूं
कोई बड़ी बड़ी स्तुति नहीं करनी आती
या कोई मन्त्र
जिसमे तुम बन्ध सको
फिर सोचा
तुम कैसे बन्ध पाओगे
असीम हो तुम तो
प्यार बांध सकता है
सिर्फ और सिर्फ मेरा प्यार पर
मुझे तो वो भी नही आता करना...😢😢