कविता
दिन खून के हमारे,
प्यारे भूल न जाना
ख़ुशियों में अपनी
हम पर, आंसू बहा के जाना
दिन खून के…
सैयद् ने हमारे,
चुन-चुन के फ़ुल तोड़े
विरार इस चमन में
कोई गुल खिला के जाना
दिन खून के…
गोली खा के सोये,
जलाया बाग में हम
सुनी पड़ी कब्र पर,
दिया जला के जाना
दिन खून के हमारे…
हिन्दु और मुस्लिम की,
होती है आज होली
बहते हैं आज एक रंगमें
दामन भीगो के जाना
दिन खून के हमारे…
कुछ जेल में पड़े है,
कुछ क़ब्र में गड़े है,
दो बुंद आँसू उनपर
प्यार बहा के जाना
दिन खून के हमारे…
🥵 🙏