“इश्क”
“मजहबे इश्क की हर रस्म कड़ी होती है
हर कदम पर कोई दीवार खड़ी होती है
इश्क आज़ाद है इश्क आज़ाद है
हिंदू ना मुसलमान है इश्क आप ही धर्म है
और आप ही ईमान है इश्क
जिसे आगा नहीं शेखो बारबंदो
हमें हकीकत का गरज़ता हुआ अइलन है इश्क़
इश्क ना पूछे हे इश्क ना पूछे दिन धरम नु
इश्क ना पूछे जाता ????क्योंकि
ये इश्क इश्क है इश्क इश्क
ये इश्क इश्क है इश्क
इश्क ये इश्क इश्क है इश्क
❤️
सौजन्य:-
“बरसात की रात”