लब पे आके बात उनकी कहते कहते रह गई।
हम भी अब ख़ुद बखुद नाकामियों में बह गए।
वो अदा की तेज तलवारें चलाती रह गईं।
हमने भी उफ तक न बोला, और कटते रह गए।
लब पे आके .........
हुस्न दौलत और सोना गिरवी जो रखूं दूंगा मैं।
वो न अब मुझको मिलेगी,
कुछ तितलियां कह गई।
लब पे आके ..........
भौंरे को मालूम है, कलियों से मिलने की सज़ा।
फिर भी वो उनके दिलों पर,
बेहोश बैठे रह गए।
लब पे आके ........
-Anand Tripathi