है मुझमें तो बताता क्यों नही ?
देखना है तुझे अब दिखाता क्यों नही !!
दूर जो कभी गया ही नही पास आने की इच्छा क्यों जगाता रहा | है मुझमे जो है तेरी मर्जी , मर्ज बढ़ाता- घटाता रहा | दिखाता है बदल -बदल कर तश्वीरों को
आखिर क्या जताता बताता रहा | तश्वीर के साथ हर दिन ढलती रही आँसुँओं में मगर ! अब तक समझ न पाई हूँ तू क्यों ? क्या ? समझाता रहा ...