आँखों मे मेरी सावन उमड़ आया!
बिजली चमकी बादल घना छाया!
झोका पवनका बदन हिलाकर गया!
और तुमने हमें याद भी ना किया ll
- वात्तसल्य

Bengali Shayri by वात्सल्य : 111881039

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