*दोहा सृजन हेतु शब्द--*
*धार, लहर, प्रवाह, भँवर, कूल*
1 धार
नदिया के तट बैठकर, देखी उसकी धार।
मीन करे अठखेलियाँ, कभी न मानी हार।।
2 लहर
सुख-दुख की उठती लहर, हर दिन आती भोर।
तैराकी होता वही, पार करे बिन शोर।।
3 प्रवाह
नद-प्रवाह जीवन-मधुर, सागर होता खार।
कंठ प्यास की कब बुझी,यह जीवन का सार।।
4 भँवर
मानव फँसता भँवर में, जो निकला वह वीर।
संयम दृढ़ता धैर्य से, बन जाते रघुबीर।।
5 कूल
कलकल बहती है नदी, शांत मनोरम कूल।
तन-मन आह्लादित करे, मिटें हृदय के शूल।।
मनोजकुमार शुक्ल " मनोज "
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