मैं और मेरे अहसास

नीद मेरी उड़ा गया है कोई,
साथ मुझे चुरा गया है कोई.

प्यार की बेड़ियों में जकड़,
मुहब्बत लुटा गया है कोई.

उदासियों के बादल हटाकर,
हँसना सिखा गया है कोई.

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

Hindi Poem by Darshita Babubhai Shah : 111878807

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