*दोहा सृजन हेतु शब्द--*
*मिथ्या, छलना, सर्प, मछुआरा, जाल*
1 मिथ्या
मिथ्या वादे कर रहे, राजनीति के लोग।
मिली जीत फिर भूलते, खाते छप्पन भोग ।।
2 छलना
छलना है संसार को, कैसा पाकिस्तान।
पहन मुखौटे घूमता, माँगे बस अनुदान।।
3 सर्प
सर्प बिलों में छिप गए, स्वर्ग हुआ आबाद।
काश्मीर पर्यटन बढ़ा, खत्म हुआ उन्माद।।
4 मछुआरा
मछुआरा तट बैठकर, देख रहा जलधार।
मीन फँसेगी जाल में, सुखमय तब परिवार।।
5 जाल
मोह जाल में उलझकर, मन होता बेचैन।
सजे चिता की सेज फिर, पथरा जाते नैन।।
मनोज कुमार शुक्ल " मनोज "
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